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बुधवार, 31 जुलाई 2024

टायर की गति जाने

अगर आप वाहन चालक हैं तो सुरक्षित ड्राइविंग एवं सुखद अनुभव के लिए अपने टायरों की शेल्फ लाइफ़ और अधिकतम गति (स्पीड) का प्रेशर झेलनें की छमता जानना आपके लिए बहुत ज़रूरी है।

क्या आप जानते हैं कि प्रत्येक टायर की गति रेटिंग टायर की बाहरी सतह पर L से Y तक के अक्षर द्वारा दर्शाई जाती है?

आप भलीभाँति जानते हैं कि तेज गति में टायर का फटना मतलब सीधा मौत के आगोश में जाना। कई बार टायर विस्फोट बढ़ी हुई गति के कारण होते हैं, और इसे आप अपने टायरों पर दर्शाए गए अक्षर की जाँच करके रोक सकते है। इसलिए, दुर्घटनाओं से बचने के लिए यह सुनिश्चित करना बहुत ज़रूरी है कि आपके टायर तेज़ गति के दबाव को झेल सकें।

प्रत्येक पहिये या टायर की एक निश्चित गति रेटिंग होती है, जिसमें अक्षर L का अर्थ है अधिकतम गति 120 किमी/घंटा और अक्षर Y का अर्थ है अधिकतम गति 300 किमी/घंटा।

टायर पर अंकित शब्द एवं अधिकतम गति :~
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• अक्षर L - अधिकतम गति 120 किमी।
• अक्षर M - अधिकतम गति 130 किमी।
• अक्षर N - अधिकतम गति 140 किमी।
• अक्षर P - अधिकतम गति 150 किमी।
• अक्षर Q - अधिकतम गति 160 किमी।
• अक्षर R - अधिकतम गति 170 किमी।
• अक्षर S - अधिकतम गति 180 किमी।
• अक्षर T - अधिकतम गति 190 किमी।
• अक्षर H - अधिकतम गति 210 किमी।
• अक्षर V - अधिकतम गति 240 किमी।
• अक्षर W - अधिकतम गति 270 किमी।
• अक्षर Y - अधिकतम गति 300 किमी।

आज ही अपने टायर की अधिकतम डिज़ाइन की गई गति क्षमता के बारे में जागरूक होकर सड़क पर सुरक्षित रहें।
खाना के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें 

सौजन्य से : NCIBHQ

बुधवार, 24 जुलाई 2024

dulcoflex डुलकोलैक्स

डुलकोलैक्स टैबलेट लेने के बाद आपको 12 से 72 घंटों के भीतर मल त्याग करना चाहिए। डुलकोलैक्स सपोसिटरी आमतौर पर 15 मिनट से 1 घंटे में मल त्याग करती है। हालांकि अलग-अलग लोगों को अलग-अलग समय पर इसका असर महसूस हो सकता है।

डुलकोलैक्स (बिसाकोडिल) एक रेचक है जो मल त्याग को उत्तेजित करता है। डुलकोलैक्स का उपयोग कब्ज के इलाज के लिए या सर्जरी, कोलोनोस्कोपी, एक्स-रे या अन्य आंतों की चिकित्सा प्रक्रिया से पहले आंतों को खाली करने के लिए किया जाता है।

गुरुवार, 11 जुलाई 2024

बड़ी मां व माताजी

अंशिका

भैया व अंशिका

पता नहीं चलता Salary आते ही कहां चली जाती है? तो आपके लिए ही बना है 50-30-20 फॉर्मूला, जमा हो जाएंगे ढेर सारे पैसे

हर नौकरीपेशा शख्स के साथ एक बड़ी दिक्कत ये होती है कि वह महीने भर सैलरी (Salary) का इंतजार करता है और सैलरी आते ही कहां चली जाती है, पता ही नहीं चलता. ऐसे में जरूरत है कि हर महीने के लिए सैलरी का एक बजट बनाया जाए और उसी हिसाब से पैसे खर्च किए जाएं. मंथली बजट बनाने के लिए आप 50-30-20 फॉर्मूले की मदद ले सकते हैं, जिससे आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) बेहतर हो जाएगी और आपके पास काफी सारे पैसे जमा हो जाएंगे.
50-30-20 फॉर्मूले की शुरुआत अमेरिकी सीनेट और टाइम मैगजीन के 100 प्रभावशाली लोगों में शामिल एलिजाबेथ वॉरेन ने की थी. इसके बारे में उन्होंने अपनी बेटी के साथ मिलकर 2006 में अपनी किताब All Your Worth: The Ultimate Lifetime Money Plan में लिखा. इसके तहत उन्होंने अपनी सैलरी को तीन हिस्सों में बांटा - जरूरत, चाहत और बचत.
एलिजाबेथ वॉरेन के मुताबिक हमें अपनी कमाई का 50 फीसदी हिस्सा उन चीजों पर खर्च करना चाहिए, जो हमारे लिए जरूरी हैं और जिनके बिना गुजारा नहीं हो सकता. इसके तहत घर का राशन, रेंट, यूटिलिटी बिल, बच्चों की पढ़ाई, ईएमआई और हेल्थ इंश्योरेंस जैसी चीजों को शामिल किया गया.
इस नियम का दूसरा हिस्सा है 30 फीसदी का, जिसे अपनी चाहतों पर खर्च करना चाहिए. यह ऐसे खर्च होते हैं, जिन्हें टाला भी जा सकता है, लेकिन इन पर पैसे खर्च करने से लोगों को खुशी मिलती है. इनके तहत फिल्म देखना, पार्लर जाना, शॉपिंग करना, बाहर खाना खाना या अपने शौक पूरे करना शामिल होता है.
इसका तीसरा और आखिरी हिस्सा है 20 फीसदी का, जिसे इस नियम के अनुसार बचत के लिए रखा जाना चाहिए. इन पैसों का इस्तेमाल अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग, बच्चों की उच्च शिक्षा, बच्चों की शादी और इमरजेंसी फंड के लिए करना चाहिए.
मान लीजिए कि आपकी हर महीने की कमाई 50 हजार रुपये है. ऐसे में 50-30-20 नियम के मुताबिक आपको 50 फीसदी यानी 25 हजार रुपये तो घर की जरूरतों पर खर्च करना चाहिए. इसमें आपके घर का किराया, राशन, बिजली-पानी का बिल, बच्चे की फीस, गाड़ी का पेट्रोल जैसे जरूरी खर्च शामिल होंगे.
वहीं इसका 30 फीसदी यानी 15 हजार रुपये आप अपनी चाहतों पर खर्च कर सकते हैं. इन चाहतों में आपका घूमना-फिरना, फिल्म देखना, कपड़ों की शॉपिंग, मोबाइल-टीवी या दूसरे गैजेट आदि खरीदना शामिल होता है.
ये सब करने के बाद आपके पास 20 फीसदी यानी 10 हजार रुपये बचेंगे. इन पैसों को आपको बचत में डालना चाहिए. आप इन पैसों को अपनी सुविधा के अनुसार अलग-अलग निवेश कर सकते हैं. आप एफडी कर सकते हैं, रिटायरमेंट के लिए एनपीएस में निवेश कर सकते हैं, लंबी अवधि के लिए पीपीएफ में पैसे डाल सकते हैं या फिर म्यूचुअल फंड जैसे इंस्ट्रुमेंट्स में एसआईपी भी कर सकते हैं. वैसे निवेश में सबसे अच्छा ये रहता है कि आप कई जगह थोड़ा-थोड़ा पैसा निवेश करें.