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अगर कोई बालक अंतरिक्ष में पैदा हो तो...
अगर कोई बालक अंतरिक्ष में पैदा हो तो उसकी कुण्डली क्या होगी?
फलित ज्योतिष की पुस्तकें पढ़कर फलादेश शुरू कर देने वाले ज्योतिषियों को एक सवाल पिछले कई दिनों से पूछा जा रहा है। मेरी भी लगभग यही श्रेणी मानी जाती है इसलिए मुझे भी यही सवाल पूछा गया। सवाल सुनते ही मेरे दिमाग में भौतिक का वह सवाल कौंध गया जिसमें पूछा गया है कि धरती से चंद्रमा की ओर जा रहे किसी यान की एक विशेष स्थिति में गतिक और स्थैतिक ऊर्जा क्या होगी। क्या इसे निकाला जा सकता है। इस सवाल में अंतरिक्ष में बालक पैदा हो रहा था, लेकिन कहां इस बारे में स्पष्ट नहीं था। मेरे दिमाग में अंतरिक्ष यान था जिसमें कि बालक पैदा हो सकता होगा।
प्रेक्टिकली हो सकता है या नहीं यह बात अलग है लेकिन अगर... हो भी तो खुले अंतरिक्ष में तो कतई पैदा नहीं सकता। ऐसे में मेरे दिमाग में पहले पहल यही ख्याल आया कि अंतरिक्ष यान में पैदा हो रहा है। इसके साथ ही मैंने यह भी सोच लिया कि वह धरती से चंद्रमा की ओर जा रहा है। जबकि सवाल यह है ही नहीं। बस इतना है कि पृथ्वी से अलग दूर अंतरिक्ष में बालक पैदा हो तो उसकी कुण्डली क्या होगी। इससे मुझे यह समझ में आया कि जिस तरह पृथ्वी के कॉर्डिनेट्स हैं वैसे ही अंतरिक्ष के कॉर्डिनेट्स भी होंगे। इन कॉर्डिनेट्स के अनुसार पहले यह तय करना होगा कि बच्चा अंतरिक्ष में कहां है। फिर पृथ्वी पर मिलने वाले पांचांगों के इतर एक अन्य गणना तय करनी होगी जिसमें अंतरिक्ष के उस बिंदू से ग्रहों की विभिन्न नक्षत्रों में स्थिति का वर्णन स्पष्ट हो। यह निकालने योग्य होना चाहिए। यानि मेहनत की जाए तो शायद निकाला जा सकता है। इसके बाद जो कुण्डली बनेगी उसमें ग्रहों का प्रभाव और नक्षत्रों का फल पृथ्वी के किसी जातक से भिन्न होना चाहिए। क्योंकि अब किरणों का प्रभाव और वातवरण पूर्णतया बदल चुके हैं।
अंतरिक्ष यान से पृथ्वी उदय होते हुए का दृश्य
अब कुछ सवाल और पैदा और होते हैं
गुणी ज्योतिषी बता सकते हैं कि ऐसी स्थिति में बालक के जन्म को लेकर कैसे फलादेश निकाले जा सकेंगे।
? क्या बालक की कुण्डली में एक ग्रह पृथ्वी भी जुड़ जाएगा,
? सूर्य और चंद्र के सन्निपात से उत्पन होने वाले राहू और केतू का क्या होगा,
? चंद्रमा का प्रभाव कितना बचेगा,
? जब गुरूत्वाकर्षण नहीं है तो क्या फलों में कुछ परिवर्तन होगा
? क्या बालक के पृथ्वी पर लौटने के समय को लेकर उसकी कुण्डली बनाई जाए,
? क्या कुछ अतिरिक्त ग्रह भी कुण्डली में जुड़ेंगे,
? क्या निकटस्थ ग्रह की भूमिका बढ़ जाएगी या कम हो जाएगी,
? पृथ्वी पर तत्व तो पांच ही हैं फिर अंतरिक्ष में कितने तत्व शामिल किए जाएंगे,
? किसे लग्न मानेंगे और यह किस ओर से उदय होगा ?
कुछ हजार सवाल और पैदा हो रहे हैं इस स्थिति पर, फिलहाल इतने ही,
कुछ आप भी सुझाएं :)
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